एक कहानी ऐसी भी

 पाश्चात्य सभ्यतानुसार 14 फरवरी को प्रेम दिवस मनाते हैं।


ख़ैर, जिन्हें प्रेम हो उसके लिए कोई दिन मायने नहीं रखता है, लेकिन फिरभी अगर तुम लड़के हो तो किसी लड़की को सोच-समझकर स्वीकार करना अन्यथा उसका प्रेम स्वीकार मत करना, बस दोस्त बना लेना।

तुम लड़के हो तुमसे ही कहा जाएगा कि
तुम समझदार थे, तुम्हें समझना चाहिए था।

क्योंकि जब
जाति चोट करती है तो
प्रेम की गाँठ कमजोर पड़ जाती है,
जब सिक्का खनकता है तो
प्रेम की गाँठ कमजोर पड़ जाती है।
जब वांछित पद नहीं मिलता तो
प्रेम की गाँठ कमजोर पड़ जाती है।

एक लड़की बहुत कोमल होती है,
तुम कभी भी उसका हाथ मत छोड़ना
लेकिन वो जाना चाहे तो उसे जाने देना दोस्त...
क्योंकि वो लड़की है और तुम लड़के हो।
समझदारी का ठीकरा तुमपर ही फोड़ा जाएगा
और बोला जाएगा तुम तो समझदार थे...

और हाँ... जब ये कहानी खत्म होने को हो
तो तुम खुद को या उसको या दोनों एक साथ
खत्म होने की मत सोचना...
क्योंकि प्रेम सर्जन करता है विनाश नहीं।

तुम फिर खड़े होना और इसबार फिर प्रेम करना
लेकिन किसी और से नहीं, केवल खुद से...
क्योंकि कोई तुमसे कोई इसीलिए जुड़ा था
या जुड़ेगा क्योंकि तुममें कोई बात थी, है और रहेगी...
रविंद्र कुमार





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